श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंङ्ग

 श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंङ्ग

भगवान शिव का यह तीसरा ज्योतिर्लिंङ्ग मध्यप्रदेश के उज्जैन नगर में है। यह भूमि की सतह से नीचे और दक्षिणमुखी है। मंदिर के गर्भगृह में ज्योतिर्लिंङ्ग है। मध्य में ओंकारेश्वर तथा सबसे ऊपर के भाग में नागचंद्रेश्वर की मूर्ति है।

कथा-महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंङ्ग की उत्पत्ति को लेकर दो कथाएं हैं। एक कथा यह है कि वेदप्रिय ब्राह्मïण व उसके चार पुत्रों को दूषण नामक राक्षस से बचाने के लिए शिव ज्योति के रूप में प्रकट हुए और दूषण व अन्य राक्षसों का संहार किया। मान्यता है तभी से शिव यहां ज्योतिर्लिंङ्ग के रूप में विराजमान हैं। दूसरी कथा यह है कि चंद्रसेन राजा की शिवभक्ति को देख एक विधवा ग्वालन का लड़का बड़ा प्रभावित हुआ। अपने घर के पास एक पत्थर को वह शिव रूप में पूजने लगा। एक दिन ग्वालन ने गुस्से में आकर उस शिवरूपी पत्थर व पूजन सामग्री को फेंक दिया। लड़का रोते-रोते सो गया और जब उठा तो देखा कि उस स्थान पर शिव का भव्य मंदिर बन गया है, तभी से यह ज्योतिर्लिंङ्ग यहां स्थापित है।

महत्व- महाकालेश्वर एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंङ्ग हैं जहां प्रतिदिन प्रात: चार बजे भस्म से आरती होती है। इसे भस्मार्ती कहते हैं। मान्यता है कभी श्मशान की चिता की भस्म भगवान को चढ़ाई जाती थी। इसके बाद जो आरती होती थी वह भस्मार्ती के रूप में विश्व प्रसिद्ध हुई। आजकल गाय के गोबर से बने कंडे की राख भगवान को भस्म के रूप में आरती के दौरान चढ़ाई जाती है। भस्मार्ती के अलावा मंदिर में प्रात: 10 से 11 बजे तक नैवेद्य आरती, संध्या 5 से 6 बजे तक अभ्यंग शृंगार, संध्या 6 से 7 बजे तक सायं आरती होती है। रात्रि 10.30 बजे से 11 बजे तक शयन आरती होती है। इसके बाद मंदिर के पट बंद हो जाते हैं। भगवान महाकालेश्वर को भक्ति, शक्ति एवं मुक्ति का देव माना जाता है । इसलिए इनके दर्शन मात्र से सभी कामनाओं की पूर्ति एवं मोक्ष प्राप्ति होती है ।

उज्जैन नगर का महत्व :- उज्जैन नगर का पुराणों एवं महाभारत में भी महिमा बताई गई है । यहॉं भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने सांदिपनी आश्रम में शिक्षा ग्रहण की । यहॉं प्रति बारह साल में बृहस्पति के सिंह राशि में आने पर कुम्भ मेला लगता है । जिसे सिंहस्थ मेला नाम से जाना जाता है । यहाँ पुण्य सलिला क्षिप्रा नदी है, जिसका महत्व गंगा के समान बताया गया है ।

पहुंच के संसाधन - महाकालेश्वर के दर्शन हेतु उज्जैन पहुंचने के लिए सभी प्रमुख शहरों से सड़क व रेलवे सुविधाएं उपलब्ध हैं।

सड़क मार्ग- उज्जैन के लिए बस सुविधा उपलब्ध है। बस स्टैंड से मंदिर तक के लिए लोक परिवहन के साधन भी हैं।

रेल मार्ग- उज्जैन देश के सभी प्रमुख शहरों से रेल मार्ग के माध्यम से जुड़ा है। मध्य रेलवे की भोपाल-उज्जैन तथा पश्चिम रेलवे की नागदा-उज्जैन, फतेहाबाद-उज्जैन लाइन है ।

वायु सेवा- सबसे नजदीकी हवाई अडड 55 किमी दूर इंदौर में है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भी हवाई अड्डा है जो यहां से 180 किमी दूरी पर है।

कब जाएं - महाकाल मंदिर वर्ष भर में आप कभी भी जा सकते हैं। लेकिन मार्च से जून का समय सबसे अनुकूल रहता है। श्रावण-भादौ मास में निकलने वाली महाकाल सवारी का विशेष महत्व होता है । अत: इन मास में यात्रा से धार्मिक लाभ प्राप्त होता है ।

सलाह :- उज्जैन एक धार्मिक नगरी है । जहाँ वर्ष भर कई त्यौहार-उत्सव मनाए जाते हैं । ऐसे त्यौहारों पर प्राय: नगर में अपार जन समूह एकत्रित होता है । अत: यात्रा के पूर्व ऐसे बड़े अवसरों की जानकारी प्राप्त करें । ताकि ठहरने या रात्रि विश्राम की स्थिति में असुविधा से बचा जा सके ।

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