काशी विशालाक्षी शक्तिपीठ - वाराणसी

हिन्दु धर्म में देवी के ५१ शक्तिपीठों में यह शक्तिपीठ उत्तरप्रदेश के वाराणसी जिले के मीरधार में स्थित है। शक्ति की उपासना एवं दर्शन-पूजन के लिए इस पीठ का बहुत महत्व है। पुरातन काल में वाराणसी का नाम काशी था। इसलिए यह शक्तिपीठ काशी विशालाक्षी के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां बारह ज्योर्तिंलिंग में से एक विश्वनाथ भी विराजित हैं। इस प्रकार इस क्षेत्र में शिव और शक्ति दोनों ही प्रतिष्ठित है। इसलिए माना जाता है कि यहां के दर्शन से मनुष्य समस्त कष्ट और पीड़ाओं से मुक्त होकर शिवधाम प्राप्त करता है। यहां सती की देह में से कर्ण कुण्डल गिरा था। यहां पर शक्ति विशालाक्षी के स्वरुप में और भैरव कालभैरव का रुप धारण कर प्रतिष्ठित हैं।

यहां मंदिर के समीप गंगा तीर्थ है। जिसमें स्नान के बाद देवी विशालाक्षी के दर्शन की परंपरा है। प्रति माह शुक्ल पक्ष की तृतीया को देवी दर्शन का विशेष महत्व है। दर्शन के अन्य विधानों में काशी में दक्षिण दिग्यात्रा क्रम में 11वें क्रम पर और चैत्र नवरात्र में नवगौरी दर्शन के क्रम में पंचमी तिथि को देवी के दर्शन किए जाते हैं।

महत्व - पुराणों में देवी को गंगा स्नान के बाद धूप, दीप, सुगंधित हार व मोतियों के आभूषण, नवीन वस्त्र आदि चढ़ाने का महत्व बताया गया है । ऐसी पौराणिक मान्यता है कि देवी विशालाक्षी की पूजा उपासना से सौंदर्य और धन की प्राप्ति होती है। यहां दान, जप और यज्ञ करने पर मुक्ति प्राप्त होती हैं।

यात्रा का समय - देवी दर्शन के लिए वाराणसी जाने के लिए उचित समय माह अक्टूबर से माह मार्च के बीच है। साधारणत: वर्षाकाल को छोड़कर वर्ष में किसी भी समय यात्रा करना सुखद होता है।

पहुंच के संसाधन -वाराणसी जाने के लिए देश के सभी प्रमुख शहरों से रेल, बस सेवा उपलब्ध है। इलाहाबाद और लखनऊ तक वायुसेवा भी है। यहां से वाराणसी के लिए प्रति घंटा बस सेवा उपलब्ध है।

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